
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत आज पुणे में एक कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि संघ का काम पूरे हिंदू समाज को स्नेह और अपनेपन की भावना से जोड़ना है। बता दें कि मोहन भागवत प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य पीवआई खादीवाले, जिन्हें वैद्य खादीवाले के नाम से भी जाना जाता है, उनके जीवन पर आधारित एक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। भागवत ने कहा, “जानवरों के विपरीत, मनुष्य में बुद्धि होती है। बुद्धि के बुद्धिमानीपूर्ण उपयोग से वह बेहतर बन सकता है, लेकिन अगर बुद्धि का दुरुपयोग किया जाए, तो वही बुद्धि उसे बदतर बना सकती है।”
मोहन भागवत ने कही ये बात
मोहन भागवत ने कहा कि जो चीज उसे बुरा बनने से रोकती है, वह है स्नेह और अपनेपन की भावना। वैद्य खादीवाले का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि स्वार्थ से प्रेरित होकर व्यक्ति बुराई की ओर झुक सकता है, लेकिन करुणा और अपनेपन से प्रेरित होकर वह दिव्य रूप प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा, “संघ समाज को इन मूल्यों की याद दिलाने का काम करता है, जिन्हें आज भुलाया जा रहा है। अगर कोई आपके प्रति अपनेपन की भावना दिखाता है, तो आपको भी उसके प्रति वैसा ही स्नेह और करुणा की भावना दिखानी चाहिए।”
भागवत ने कहा कि हिंदू समाज ने इस भावना से पूरी दुनिया को जोड़ने के विचार को अपनाया है। “‘गिविंग बैक’ शब्द का इस्तेमाल अब अक्सर अंग्रेजी में किया जाता है, लेकिन यह भावना यहां लंबे समय से मौजूद है।” उन्होंने आयुर्वेद और परोपकार में खादीवाले के योगदान की भी सराहना की और उनके प्रशंसकों से उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का आग्रह किया। बीते दिनों नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा था कि देश की आजादी किसी एक व्यक्ति की देन नहीं है। सामूहिक विचार की अहमियत बताते हुए उन्होंने कहा कि सामूहिक विचार से ही संघ की दिशा तय होती है। संघ का काम एक दो लोगों का काम नहीं है।